हिंदी _ उपयोजित लेखन _अनौपचारिक पत्रलेखन

 Hindi _ Upyojit lekhan _ Informal Letter-Writing

अनौपचारिक पत्रों को घरेलू पत्र कहा जाता है। ऐसे पत्र उन्हें लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा व्यक्तिगत परिचय होता है, अथवा जो हमारे घनिष्ठ होते हैं। हम अपने मित्रों, माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी तथा रिश्तेदारों को जो पत्र लिखते हैं वे इसी श्रेणी में आते हैं। इन पत्रों में संबोधन, अभिवादन तथा शिष्टाचार आदि आयु एवं रिश्तों के अनुसार निभाया जाता है। इन पत्रों में हम अपनी निजी बातें, कुशल-क्षेम तथा सुख-दुख की बातें लिखते हैं। इन पत्रों की भाषा सहज-सरल होनी चाहिए।



👇 अनौपचारिक पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए :

(1) जिसे पत्र लिखा जा रहा है, उसके रिश्ते और आयु के अनुसार संबोधन और अभिवादन लिखना चाहिए।

(2) शुरू में पत्र पाने वाले का कुशल-क्षेम पूछना चाहिए।

(3) अनौपचारिक पत्र में विषय विवेचन की आवश्यकता नहीं होती।

(4) पत्र-लेखन अपने उद्देश्य के अनुसार स्नेह/सम्मान सहित प्रभावी शब्दों में होना  चाहिए।

(5) पत्र को समाप्त करते समय नीचे बाईं ओर पत्र भेजने वाले के हस्ताक्षर, उसका नाम तथा पता लिखना चाहिए। 

(6) साथ में ई-मेल आईडी लिखना चाहिए।

अनौपचारिक पत्र का प्रारूप
दिनांक :  -----------------------------
संबोधन : -----------------------------
अभिवादन : ---------------------------
प्रारंभ : ------------------------------
विषय विवेचन : ------------------------
समापन : -----------------------------
हस्ताक्षर : ----------------------------
नाम : --------------------------------
पता : --------------------------------
ई-मेल आईडी : ------------------------

नमुना : 1

राजन  / रजनी मांजरेकर, हेमेंद्र कुटीर, सुभाषचंद्र मार्ग, ठाणे से नागपुर में पढ़ रहे अपने छोटे भाई नीरव को परीक्षा की तैयारी हेतु पत्र लिखता / लिखती है।

12 नवंबर, 2024

प्रिय भाई नीरव ,
मधुर प्यार।

बहुत दिनों से तुम्हारा कोई पत्र नहीं आया। क्या कारण है? आशा है परीक्षा की तैयारी में लगे होगे। नीरज, तुम स्वयं समझदार हो, फिर भी मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता/चाहती हूँ। घर के सभी सदस्यों को तुमसे बहुत आशाएँ हैं। अर्धवार्षिक परीक्षा में तुम्हारा रिजल्ट अच्छा नहीं रहा। इससे माता जी और पिता जी को बड़ा दुख पहुँचा। वे न जाने अपनी कितनी आवश्यकताओं को सीमित करके तुम्हें घर से इतनी दूर रखकर पढ़ा रहे हैं। तुम्हें अपना बहुमूल्य समय मित्रों के साथ इधर-उधर घूमने में व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। तुम अच्छी तरह जानते हो कि गया वक्त हाथ नहीं आता
  भाई, तुम्हें एक समय-सारणी बनाकर उसके अनुसार पढ़ना चाहिए। मित्रों के साथ गपशप करना और यहाँ-वहाँ भटकना जीवन में किसी काम नहीं आएगा। अपना एक लक्ष्य बनाओ और उसे प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास करो।
माता जी और पिता जी की ओर से शुभाशीष। पत्र लिखना।
तुम्हारा बड़ा भाई/तुम्हारी बड़ी बहन,
राजन  मांजरेकर / रजनी  मांजरेकर
हेमेंद्र कुटीर,
सुभाषचंद्र मार्ग,
ठाणे - 400 601
abc@xyz.co.in


नमुना : 2 ( Mar-19 )

अनय / अनया पाटील, गीतांजलि, गुलमोहर रोड, अहमदनगर से अपनी छोटी बहन अमिता पाटील, ३, श्री कृपा, शिवाजी रोड, नेवासा को राज्य स्तरीय कबड्डी संघ में चयन होने के उपलक्ष्य में अभिनंदन करने हेतु पत्र लिखता /लिखती है।

18 अगस्त, 2021

प्रिय अमिता,
खुश रहो।
आज तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर बहुत खुशी हुई। कबड्डी खेल में तुम्हारी लगन बचपन से ही रही है। इसमें तुम्हें अनेक पुरस्कार भी मिले हैं। पर राज्य स्तरीय कबड्डी संघ में तुम्हारा चयन होना बड़े गर्व की बात है। हम सबकी खुशी की कोई सीमा नहीं रही। बधाई हो। अमिता, हमें पूरा विश्वास है कि इसी तरह तुम निरंतर प्रगति करती रहोगी और एक दिन कबड्डी में तुम हमारे देश का नाम भी रोशन करोगी। एक बार फिर हम सबकी बधाई।

तुम्हारी बहन,
अनया पाटील
गीतांजलि, गुलमोहर रोड,
अहमदनगर - 414 002
xyz@abc.com

नमुना : 3 

कोल्हापुर का नमितेश/नमिता शर्मा अंतरविद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम आने पर अपने मित्र अजय वर्मा | द्वारा भेजे गए बधाई पत्र के जवाब में धन्यवाद देते हुए पत्र लिखता / लिखती है।

18 अगस्त, 2021

प्रिय मित्र अजय,
आज ही तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर बहुत खुशी हुई। धन्यवाद!
मित्र, तुम्हारे बधाई पत्र से अंतरविद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने की मेरी खुशी दोगुनी हो गई। वास्तव में तुम जैसे मित्रों के प्रोत्साहन का ही परिणाम है कि मुझे आज अंतरविद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। मित्र, मुझे इस बात से बहुत खुशी होती है कि मुझे अपनी हर छोटी-बड़ी उपलब्धि पर तुम जैसे मित्रों का उत्साह बढ़ाने वाला पत्र जरूर मिलता है।
अजय, अपनी इस सफलता में मैं तुम जैसे मित्रों के सहयोग के लिए आभारी हूँ। तुम्हारे बधाई पत्र से मेरा मनोबल और भी बढ़ गया है। इसके लिए तुम्हें बहुत-बहुत धन्यवाद !

तुम्हारा मित्र,
नमितेश शर्मा
17, महालक्ष्मी पथ,
कोल्हापुर - 416 003

xyz@abc.com


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